Everything about Shiv chaisa
Everything about Shiv chaisa
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एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
किसी भी वजह से मन में कोई भय हो तो शिव चालीसा का पाठ करे।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
O Lord, When the Deities humbly sought your support, you kindly and graciously uprooted all their Challenges. You blessed the Shiv chaisa Deities with all your generous help in the event the Demon Tarak outraged them and you ruined him.
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
शिव चालीसा का पाठ करने से आपके कार्य पूरे होते है और मनोवांछित वर प्राप्त होता हैं।